पूरे विश्र्व में हर साल ५ से १० करोड़ मरीज डेंगू बुखार से प्रभावित होते हैं। इस बुखार को हड्डी तोड़ बुखार नाम भी दिया गया है। अगर इसका सही उपचार नहीं हुआ तो यह बुखार (१) डेंगू हेमोरेजिक फीवर, (२) डेंगू शॉक सिंड्रोम में बदल जाता है, जिससे मरीज की जान भी जा सकती है। यह एक वायरल बुखार है, जो ४ प्रकार के डेंगू वायरस (डी-१, डी-२, डी-३, डी-४) से होता है। यह वायरस दिन में काटने वाले दो प्रकार के मच्छरों से फैलता है।
ये मच्छर एडिज इजिप्टी तथा एडिज एल्बोपेक्टस के नाम से जाने जाते हैं। यह बुखार सिर्फ मच्छरों से फैलता है। मरीज दूसरे स्वस्थ आदमी को यह बीमारी नहीं देता है। यह मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं, जैसे घर के बाहर पानी की टंकियाँ या जानवरों के पीने की हौद, कूलर में इकट्ठा पानी, पानी के ड्रम, पुराने ट्यूब या टायरों में इकट्ठा पानी, गमलों में इकट्ठा पानी, फूटे मटके में इकट्ठा पानी आदि। इसके विपरीत मलेरिया का मच्छर गंदे पानी में पनपता है। इन्हीं मच्छरों से चिकनगुनिया भी फैलता है, जो हम गत वर्षों में देख चुके हैं।
लक्षण
साधारणतः डेंगू की शुर्आित १ से ५ दिनों तक तेज बुखार व ठंड के साथ होती है। अन्य लक्षण जैसे सिरदर्द, कमर व जोड़ों में दर्द, थकावट व कमजोरी, हल्की खाँसी व गले में खराश, उल्टी व शरीर पर लाल-लाल दाने भी दिखाई देते हैं। शरीर पर दाने इस बुखार में दो बार भी दिखाई दे सकते हैं। पहली बार शुरू के दो-तीन दिनों में और दूसरी बार छठे या सातवें दिन। इस बुखार का मरीज करीब १५ दिनों में पूरी तरह ठीक होता है। यह बुखार बच्चों व बड़ी आयु के लोगों में यादा खतरनाक होता है।